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Showing posts from April, 2020

JINDAGI EK KHULI KITAAB....💘

की जिंदगी अब हमने खुली किताब कर ली है  , हा खाता ये हुईं , हमसे हमने  "मोहब्बत "  तुमसे बेहिसाब कर ली है , ना यक़ीन हो तो जा के देख मेरी बीती जिंदगी में , हमने कितनों की जिंदगी एक ख़्वाब कर दी है , हा ग़लती बस इतनी सी है  , हमारी की हमने तुमसे  "मोह्हबत " बेहिसाब कर ली है , हा यु तो नासमझ नहीं हु मैं भी , लेकिन तेरे लिए ये ज़िन्दगी नादां कर ली है , अब उन   "चाँद , तारों , फूल , झरनों "  की तुमसे क्या तुलना दु , साला उन सब से ज्यादा तो "मोह्हबत" तो  हमने तुमसे बेहिसाब कर ली है , यू तो जिंदगी के "मायने " छीन लिए है तुमने , क्योंकि अब हमने तो झूठ बोलने वाले  " आइनों  " से भी  "मोह्हबत " बेहिसाब कर ली हैं , हा तुम ही थी एक जिसके आगे  , मैंने अपनी जिंदगी एक खुली किताब कर दी है , गलती बस इतनी सी थी , की मोह्हबत मैंने तुमसे बेहिसाब कर ली है ।

क्या ऐसा ही महसूस होता हैं...

मैं एक अर्से से जागा हु , और कुछ अर्सो का खोया  हा मुझे जब भी दिखता हैं , मेरा चाँद उससे लिपट कर बहूत रोया हु  यू तो हमारा चाँद "PRIVATE" हैं , लेकिन अभी भी मैं कही उसके ख़यालो में खोया हु , कोशिश पूरी हैं कि उसकी उलझने सुलझा दू × २ लेकिन उसके इज्जात के बिना, उस्से रूबरू होना जरूरी नही होता , गर ख्वाइशों के समंदर में गोते न खाता ये "मुसाफिर"  तो इश्के - सवार - ये - आशिक़ अपनी कश्ती संग किनारे पे होता ,  गौर फरमाएं... कभी-कभी लगता है मैं भी इश्क़ में डूब मरुँ ,  मगर क्या करूँ साहब इस इश्क़ की ख्वाइश का कोई समुंदर नहीं होता...!!