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Showing posts from May, 2020

Meri Ruhh ka Parinda..💫

हा अब इस रूह की ख्वाइश  जो इस जिस्म से उड़ना चाहती हैं करू तो क्या करूँ इसका  ये तुझ बिन न जीना चाहती है कोशिशे लाख कर ली हैं  मगर तुझ तक न पहुँची ये मन्नतें कर रहा हु मैं  मेरा खुदा सुनना नही चाहता पागलों सा हो गया अब मैं  जो रुक रहा हु हर डगर पर मुसाफ़िर हो गया हु मैं अपने रब को ढूंढ~ढूढ़ कर  हा अब इस रुह की ख्वाईश  उड़ना चाहती है ये जिस्म छोड़ कर  देखो पढ़ रहा वो जिसको थक गया ढूंढ कर  हा अब है सामने मेरे खुदा का एक मंजर... अधुरा रह गया हूं मैं अपने रब के मिलने पर...