बेबस सी आँखें , ढूंड रही हैं तुमको , काश कि इन आँखों की दुनियां में , सिर्फ तुम ही तुम होते , मसला ये नहीं के तुम्हें भुला नही पा रहे, मसला ये है कि तुम्हे हम हॉसिल नाही कर पा रहें , आदत हो गयी तेरे प्यार में , मर- मर के जीने की हमें , अब तो कोई जिंदगी भी देने कोशिश करे , तो हम साफ मना कर देते है , सिर्फ इशारा ही काफी है , तफसील ज़रूरी नहीं , हम तुम ही काफी हैं , महफ़िल ज़रूरी नहीं , गिला तुमसे नहीं , शिकायत उस वक़्त से क्या करूँ जो मेरा कभी मेरा था ही नहीं ।।
समझदारी तो मुझमे कभी आएगी नहीं,जो बाँट सको मेरी नादानियां तो साथ चलो...😍