Skip to main content

Posts

Showing posts from March, 2020

Ishq-ey-Khwaish

बेबस सी आँखें ,  ढूंड रही हैं तुमको , काश कि इन आँखों की दुनियां में ,  सिर्फ तुम ही तुम होते , मसला ये नहीं के तुम्हें भुला नही पा रहे, मसला ये है कि तुम्हे हम हॉसिल नाही कर पा रहें , आदत हो गयी तेरे प्यार में , मर- मर के जीने की हमें , अब तो कोई जिंदगी भी देने कोशिश करे , तो हम साफ मना कर देते है , सिर्फ इशारा ही काफी है ,  तफसील ज़रूरी नहीं , हम तुम ही काफी हैं , महफ़िल ज़रूरी नहीं , गिला तुमसे नहीं , शिकायत उस वक़्त से क्या करूँ जो मेरा कभी मेरा था ही नहीं ।।

Mai kon hu..? Mera naam kya..?

मैं कौन हूं मेरा नाम क्या ? उसकी जिंदगी में मेरा काम क्या ? मैं हु भविष्य तो उसका आज क्या ? है ये हक़ीक़त तो ख़्वाब क्या ? मेरी कोशिशें नाक़म क्यों ? मेरे अक्स पर कोई दाग़ क्या ? . . . है कुछ दर्द जो उसके ले सकूँ , एक शाम बस मिल जाये वो , ये जो लिख रहा वो मेरी भावना , जो न लिखा वो मेरा इश्क़ था ।