ढूंड रही हैं तुमको ,
काश कि इन आँखों की दुनियां में ,
सिर्फ तुम ही तुम होते ,
मसला ये नहीं के तुम्हें भुला नही पा रहे,
मसला ये है कि तुम्हे हम हॉसिल नाही कर पा रहें ,
आदत हो गयी तेरे प्यार में ,
मर- मर के जीने की हमें ,
अब तो कोई जिंदगी भी देने कोशिश करे ,
तो हम साफ मना कर देते है ,
सिर्फ इशारा ही काफी है ,
तफसील ज़रूरी नहीं ,
हम तुम ही काफी हैं ,
महफ़िल ज़रूरी नहीं ,
गिला तुमसे नहीं ,
शिकायत उस वक़्त से क्या करूँ जो मेरा कभी मेरा था ही नहीं ।।
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